नियुक्ति
राजीव महर्षि
देश के महालेखा नियंत्रक एवं परीक्षक (कैग) राजीव महर्षि को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में बाहरी लेखा-परीक्षक के तौर पर चुना गया है। उनका कार्यकाल वहां 2020 से 2023 तक रहेगा। महर्षि को पिछले महीने जिनेवा में हुई 72वीं विश्व स्वास्थ्य महासभा में बहुमत से चुना गया।
भारत के अलावा इस पद के लिए कांगो, फ्रांस, घाना, ट्यूनिशिया, ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के महालेखा परीक्षक भी दौड़ में शामिल थे। राजीव महर्षि मौजूदा डब्ल्यूएचओ के बाहरी लेखा-परीक्षक यानी फिलीपींस के सुप्रीम ऑडिट इंस्टीट्यूशन का स्थान लेंगे। कैग के लिए यह इस साल दूसरा बड़ा अंतर्राष्ट्रीय लेखा परीक्षण का काम है। इससे पहले मार्च 2019 में कैग को रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन का बाहरी लेखा परीक्षक चुना गया था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन से संबंधित मुख्य तथ्य:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन'(WHO) विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य हैं।
- यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है।
- इस संस्था की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गयी थी।
- इसका उद्देश्य संसार के लोगो के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है।
- डब्ल्यूएचओ का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है।
- इथियोपिया के डॉक्टर टैड्रोस ऐडरेनॉम ग़ैबरेयेसस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नए महानिदेशक निर्वाचित हुए हैं।
- वो डॉक्टर मार्गरेट चैन का स्थान लेंगे जो पाँच-पाँच साल के दो कार्यकाल यानी दस वर्षों तक काम करने के बाद इस पद से रिटायर हो रही हैं।
- भारत भी विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक सदस्य देश है और इसका भारतीय मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(CAG)
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ‘कंट्रोलर एण्ड ऑडिटर जनरल’ अर्थात ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ को आम तौर पर ‘कैग’ के नाम से जाना जाता है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 में ‘कैग’ का प्रावधान है, जो केंद्र व राज्य सरकारों के विभागों और उनके द्वारा नियंत्रित संस्थानों के आय-व्यय की जांच करता है।
- यह संस्था सार्वजनिक धन की बर्बादी के मामलों को समय-समय पर प्रकाश में लाती है।
कैग से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
- नियंत्रक महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है. किन्तु उसे पद से संसद के दोनों सदनों के समावेदन पर ही हटाया जा सकेगा और उसके आधार (i) साबित कदाचार या (ii) असमर्थता हो सकता है।
- इसकी पदावधि पद ग्रहण करने की तिथि से 6 वर्ष तक होगी, लेकिन यदि इससे पूर्व 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेता है तो अवकाश ग्रहण कर लेता है।
- यह सेवा-निवृत्ति के पश्चात भारत सरकार के अधीन कोई पद धारण नहीं कर सकता।
- नियंत्रक महालेखा परीक्षक सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है।
- भारत तथा प्रत्येक राज्य तथा प्रत्येक संघ राज्य क्षेत्र की संचित निधि से किए गए सभी व्यय विधि के अधीन ही हुए हैं, यह इस बात की संपरीक्षा करता है।
कला एवं संस्कृति
इरुला जनजातियों द्वारा पर्यटकों और ट्रेकर्स के कारण रॉक कला के नुकसान के खिलाफ विरोध किया गया।
नीलगिरी के जंगलों में किलकोटागिरि के करिकियूर में शैल चित्रों ने लगभग 5,000 वर्षों तक प्रकृति की शक्तियों का सामना किया है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ट्रेकर्स, पर्यटकों और असभ्यों द्वारा लगभग 40% चित्रों को नष्ट कर दिया गया है। सरकार ने करिकियूर में इन पुरानी पेंटिंग को नष्ट होने तथा अवैध पर्यटन को रोकने के लिए बहुत कम प्रयास किया है। यही कारण हैं कि वहां की इरुला जनजातियों द्वारा अवैध पयर्टन को लेकर विरोध किया जा रहा हैं ताकि उनकी धरोहर शैल चित्रों को बचाया जा सके,जिसके वे उत्तराधिकारी है। करिकियूर में शैल चित्रों पर पाई जाने वाली लिपियों के चित्र उत्तरी भारत के सिंधु सभ्यता स्थलों में पाई गई लिपि से मिलते जुलते हैं।
इरुला जनजातीय समुदाय से संबंधित तथ्य:
- इरुला, एक द्रविड़ जातीय समूह है जो भारत के तमिलनाडु और केरल राज्यों में नीलगिरी पर्वतीय क्षेत्र में रहते हैं।
- यह एक अनुसूचित जनजाति है, जिनकी आबादी इस क्षेत्र में 25,000 अनुमानित है।
- ये लोग इरुला भाषा बोलते हैं जो कन्नड़ और तमिल की तरह द्रविड़ भाषा से संबंधित है।
- इरुला विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) में से एक हैं।
- भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 75 जनजातीय समूहों को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- यह समूह संवैधानिक श्रेणी में नहीं हैं तथा न ही इन्हें संवैधानिक मान्यता प्राप्त है।
- ये समूह 18 राज्यों तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह संघ राज्य-क्षेत्र में रहते हैं।
नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व
- नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व, दक्षिण भारत के पश्चिमी घाटों और नीलगिरी पहाड़ियों की श्रेणी में एक अंतर्राष्ट्रीय बायोस्फीयर रिज़र्व है।
- इसे वर्ष 2012 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था।
- इसमें अरालम, मुदुमलाई, मुकुर्थी, नागरहोल, बांदीपुर और साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान के साथ ही वायनाड, नेय्यार, पेप्पारा, शेंदुर्आने और सत्यमंगलम वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
- 5000 वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र को कवर करने वाली नीलगिरी और इसके आसपास के वातावरण की पहाड़ी शृंखलाओं का एक आकर्षक पारिस्थितिकी तंत्र सितंबर, 1986 में मैन एंड बायोस्फीयर प्रोग्राम के तहत यूनेस्को द्वारा नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व के रूप में गठित किया गया था।
- नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व भारत का पहला और सबसे महत्वपूर्ण जीव भंडार है, जो वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध है। आदिवासी समूह जैसे टोडा, कोटस, इरुल्लास, कुरुम्बास, पनियास, अडियन्स, एडानदान चेटिस, अल्लार, मलायन आदि, रिज़र्व के मूल निवासी हैं।
- बायोस्फीयर रिज़र्व तमिलनाडु राज्य (2537.6 किमी), कर्नाटक (1527.4 किमी) और केरल (1455.4 किमी) में 5,520 वर्ग किमी में फैला हुआ है।
- बायोस्फीयर 10°50′N और 12°16′N अक्षांश और 76°00′E से 77°15′E देशांतर के बीच स्थित है।
पुरस्कार
पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को मैक्सिको के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया
1 जून 2019 को भारत की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को विदेशियों को दिए जाने वाले मेक्सिको के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डेन मेक्सिकाना डेल एग्वेला एज्टेका’ (ऑर्डर ऑफ एज्टेक ईगल) से सम्मानित किया गया.। प्रतिभा पाटिल को मैक्सिको के साथ मानवीय संबंधों को मजबूत करने में मदद करने हेतु यह सम्मान दिया गया है।
प्रतिभा पाटिल वर्ष 2007 से 2012 तक भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहीं.
प्रतिभा सिंह पाटिल भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनी थी.
यह पुरुस्कार मेक्सिको के राजदूत मेल्बा प्रिआ ने पुणे के एमसीसीआईए भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में पाटिल को प्रदान किया.
प्रतिभा पाटिल यह पुरुस्कार पाने वाली भारत की दूसरी राष्टपति बनी.
इससे पहले यह सम्मान राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन को दिया गया था.
ऑर्डर ऑफ द एज़्टेक ईगल
- यह पुरस्कार राष्ट्रपति के नेतृत्व में इस उद्देश्य के लिए स्थापित की गई एक परिषद के निर्देश पर विदेश मंत्री के कार्यालय द्वारा प्रदान किया जाता है।
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाद प्रतिभा पाटिल, यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला और दूसरी भारतीय हैं।
- इससे पहले डॉ. नेल्सन मंडेला, क्वीन एलिजाबेथ II (द्वितीय), बिल गेट्स को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
राष्ट्रीय
केंद्रीय कैबिनेट ने मवेशियों के पैर और मुंह की बीमारी ब्रूसीलोसिस के नियंत्रण हेतु टीकाकरण योजना को मंजूरी प्रदान की
केंद्रीय कैबिनेट ने जानवरों में होने वाली पैरों और मुंह की बीमारी ब्रूसीलोसिस को रोकने के लिए टीकाकरण योजना को मंजूरी प्रदान की। फुट एंड माउथ डिसीज (FMD) गाय, बैल, भैंस, भेड़ बकरी और सुअर के अंदर पाई जाती है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मवेशियों में बीमारियों की रोकथाम के लिए 13,343 करोड़ रुपये के कार्यक्रम को मंजूरी दी।
क्या है ब्रूसीलोसिस?
- यह विभिन्न ब्रूसीला प्रजातियों के कारण होने वाला एक जीवाणुजनित रोग है, जो मुख्य रूप से मवेशियों, सूअरों, बकरियों, भेड़ों और कुत्तों को संक्रमित करता है।
- इस बीमारी से बुखार, कमजोरी और अस्वस्थता और वजन कम होना जैसे फ्लू के लक्षण दिखाई देते हैं।
- यह बीमारी मवेशियों, सूअरों, भेड़ों, बकरियों और अन्य विभाजित-खुर वाले जुगाली करने वाले पशुओं को प्रभावित करती है।
- यह बीमारी तब फैलती है जब संक्रमित जानवर विषाणु को अतिसंवेदनशील जानवरों के संपर्क में लाते हैं।
- मनुष्य में सामान्यत: यह बीमारी, संक्रमित जानवरों से प्रत्यक्ष संपर्क में रहने, दूषित जानवर उत्पादों को खाने या पीने या हवाजनित कारकों के श्वसन के माध्यम से भीतर जाने से होती है।
- दुर्लभ मामलों में, मानव भी अतिसंवेदनशील होते हैं।
सरकार ने कॉपीराइट नियमों में बदलाव के लिए ड्राफ्ट कॉपीराइट संशोधन नियम,2019काप्रस्ताव रखा
सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र का प्रस्ताव कर रही है कि गाने और वीडियो सस्ती दरों पर अधिकतम लोगों तक पहुंचें, जो विवाद की स्थिति में अर्ध-न्यायिक निकाय, बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड (IPAB) द्वारा तय किया जा सकता है। ये परिवर्तन कॉपीराइट (संशोधन) नियम, 2019 में प्रस्तावित हैं, जिसके मसौदे को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने हितधारकों के विचारों और टिप्पणियों के लिए 29 जून तक सार्वजनिक कर दिया है। बदलावों को मंजूरी मिलने के बाद, वेबसाइटों, पोर्टलों और म्यूजिक स्ट्रीमिंग फर्मों के लिए सामग्री खरीदना और उन्हें अपलोड करना आसान हो जाएगा।
मुख्य तथ्य
- भारत में कॉपीराइट शासन, कॉपीराइट अधिनियम, 1957 और कॉपीराइट नियम, 2013 द्वारा शासित है।
- कॉपीराइट नियम, 2013 को पिछली बार वर्ष 2016 में कॉपीराइट नियम, 2016 के माध्यम से संशोधित किया गया था।
- कॉपीराइट सोसायटी एक कानूनी निकाय है जो वाणिज्यिक प्रबंधन के रचनात्मक लेखकों को उनके हितों की सुरक्षा का आश्वासन है।
- ये सोसाइटी लाइसेंस जारी करती हैं और टैरिफ स्कीम के अनुसार रॉयल्टी जमा करती हैं।
क्या होता हैं कॉपीराइट
कॉपीराइट वह कानून है जो साहित्य निर्माता, नाटक, संगीत अथवा चित्रकला, चलचित्र निर्माता, वेबसाइट, लेखक, निर्माता को उनके मूल कृति को कॉपी राइट पंजीयन कराकर यह अधिकार प्राप्त कराता है कि उनका साहित्य, कृति कॉपीराइट के तहत संरक्षित है तथा वे उसका उत्पादन, प्रजनन करने, संचार करने का अधिकार प्रदान कराता है तथा उनके मूल कृति केा एक निश्चित समयावधि तक संरक्षित करने का अधिकार प्रदान करता है तथा दाियत्व का र्निवहन करने का कानूनी अधिकार प्रदान करता है। कॉपीराइट किसी मालिक के द्वारा उत्पादित मूलकृति को कानूनी सुरक्षा प्रदान कराना है। मालिक अपने द्वारा उत्पादित कृति का भविष्य नियंत्रित कर सकता है। कॉपीराइट मुख्य दो अधिकारों से मिलकर बना हुआ है- आर्थिक अधिकार एवं नैतिक अधिकार।
आर्थिक अधिकार-आर्थिक अधिकार से संबंधित पुर्नउत्पादन का अधिकार ब्राडकास्टिंग, लोक प्रदर्शन, अंगीकरण, अनुवादीकरण सब लोक सम्पादन एवं वितरण के अधिकार है।
नैतिक अधिकार –नैतिक अधिकार किसी लेखक की कृति को संशोधन, नष्टीकरण से बचाते हुए सुरक्षा प्रदान कराता है।
दोनों प्रकार के अधिकारों का उपयोग कृतिकार कर सकता है। वह अपने वास्तविक कार्य का स्वयं उपयोग कर सकता है अथवा किसी अन्य व्यक्ति को उस कार्य को उपयोग करने हेतु स्वीकृति प्रदान कर सकता है। अथवा प्रतिबंधित अथवा रोक सकता है। सामान्य तौर पर कॉपीराइट कार्य पर मालिक का अधिकार होता है। जिसे बिना उसकी स्वीकृति के किसी अन्य द्वारा अनाधिकृत रूप से उपयोग नहीं किया जा सकता है।
समिति
कस्तूरीरंगन समिति द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदा को संशोधित किया गया
कस्तूरीरंगन समिति ने मसौदा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को संशोधित किया है और तीन-भाषा के फार्मूले में कुछ बदलावों को लागू किया है। हालांकि, संशोधित ड्राफ्ट में कक्षा 1 से शुरू करते हुए तीन भाषायी फॉर्मूले को प्रस्तावित करने की सिफारिश की गई है, यह केवल उस खंड को हटाता है जो छात्रों द्वारा चुनी जाने वाली विशिष्ट भाषाओं को निर्धारित करता है। इसमे अनुभाग 4.5.9 में विवादास्पद वाक्य का शीर्षक ’भाषाओं के चयन की सुविधा’ है।
डॉ.कस्तूरीरंगन समिति की मूल सिफारिशें:
स्कूल शिक्षा :
- समिति ने 3 वर्ष से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों को शामिल करने के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के विस्तार की सिफारिश की है, वर्तमान में 6 वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चे शामिल हैं।
- यह बच्चों के संज्ञानात्मक और सामाजिक-भावनात्मक विकास के चरणों पर आधारित 5+3+3+4 पाठ्यक्रम और शैक्षणिक संरचना को प्रस्तावित करता है:
- मूलभूत चरण (आयु 3-8 वर्ष): प्री प्राइमरी प्लस ग्रेड 1-2 के 3 वर्ष
- प्रारंभिक चरण (8-11 वर्ष): ग्रेड 3-5
- मध्य चरण (11-14 वर्ष): ग्रेड 6-8 और
- माध्यमिक चरण (14-18 वर्ष): ग्रेड 9-12
- स्कूलों को स्कूल परिसरों में पुन: व्यवस्थित किया जाएगा।
- यह स्कूल शिक्षा पाठ्यक्रम में पाठ्यक्रम भार को कम करने का प्रयास भी करता है।
उच्च शिक्षा :
तीन प्रकार के उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ उच्च शिक्षा संस्थानों का पुनर्गठन प्रस्तावित किया गया है-
- यह विश्वस्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण पर केंद्रित है
- यह अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान के साथ सभी विषयों में उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण पर केंद्रित है
- यह उच्च गुणवत्ता वाला शिक्षण है जो पूर्वस्नातक शिक्षा पर केंद्रित है
- सभी शैक्षणिक पहलों के समाकलित कार्यान्वयन को सक्षम बनाने और केंद्र एवं राज्यों के मध्य प्रयासों के समन्वय हेतु एक नया सर्वोच्च निकाय प्रस्तावित किया गया है।
अन्य सिफारिशें:
- समिति ने एम.एच.आर.डी. का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने का प्रस्ताव दिया है।
- 4 वर्षीय समाकलित चरण-विशिष्ट बी.एड. कार्यक्रम अंततः शिक्षकों के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता होगी।
- निजी और सार्वजनिक संस्थानों को समान माना जाएगा और शिक्षा, “गैर-लाभकारी’ गतिविधि रहेगी।
- इसमें स्कूल में तीन भाषायी फार्मूले को जारी रखने के बारे में भी कहा गया है।