Jai Shree Shyam
Khatu Shyam Ji : यूं हीं नहीं कहते हारे का सहारा बाबा खाटू श्याम हमारा, ऐसे बने खाटू श्याम भगवान Khatu Shyam Ji को इन नामो से भी पुकारा जाता हे :- बाबा श्याम , हारे का सहारा, लखदातार, खाटूश्याम जी, मोर्विनंदन, खाटू का नरेश और शीश का दानी इन सभी नामों से खाटू श्याम को उनके भक्त पुकारते हैं। Jai Shree Shyam । खाटू श्याम जी की जीवन कथा । खाटू श्याम जी के बारे में जाने ।
Khatu Shyam Mandir Rajasthan खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। ऐसा कहे जाने के पीछे एक पौराणिक कथा हाथ है। राजस्थान के सीकर जिले में इनका मंदिर स्थित जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लोगों का विश्वास है कि बाबा श्याम सभी की मुरादें पूर करते है .. और कार्तिक माह की एकादशी को शीश मन्दिर में सुशोभित किया गया. इसीलिये हमेशा देवउठनी एकादशी को ही श्री खाटूश्याम जी का जन्मदिन मनाया जाता है
कौन हैं बाबा खाटू श्याम । Jai Shree Shyam
बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। यह पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। ऐसी कथा है कि खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया।
शीश के दानी
जब श्री कृष्ण ने उनसे उनके शीश की मांग की तो उन्होंने अपना शीश बिना किसी झिझक के उनको अर्पित कर दिया और भक्त उन्हें शीश के दानी के नाम से पुकारने लगे। श्री कृष्ण पाण्डवों को युद्ध में विजयी बनाना चाहते थे। बर्बरीक पहले ही अपनी माँ को हारे हुए का साथ देने का वचन दे चुके थे और युद्ध के पहले एक वीर पुरुष के सिर की भेंट युद्धभूमिपूजन के लिए करनी थी इसलिए श्री कृष्ण ने उनसे शीश का दान मांगा।
लखदातार
भक्तों की मान्यता रही है कि बाबा से अगर कोई वस्तु मांगी जाती है तो बाबा लाखों-बार देते हैं इसीलिए उन्हें लखदातार के नाम से भी जाना जाता है।
हारे का सहारा
जैसा कि इस आलेख मे बताया गया है बाबा ने हारने वाले पक्ष का साथ देने का प्रण लिया था, इसीलिए बाबा को हारे का सहारा भी कहा जाता है।
हारे हुए की तरफ से युद्ध करने की प्रतिज्ञा व् दादी माँ हिडिम्बा से मिले आदेश के कारण ही। भगवान श्री कृष्ण की मन में उठी समस्या के कारण ही बर्बरीक व बाबा के शीश को भगवान वासुदेव द्वारा माँगा गया। क्योंकि एक तो कुरु सेना अठारह दिनों से पहले खत्म नही हो सकती थी। तथा अन्य तथ्य यह था कि महाबली बर्बरीक हारे हुए कमजोर की तरफ से युद्ध करते इस लिए अंत में महाबली बर्बरीक के इलावा कोई नही बचता। क्योंकि जिस तरफ से वह युद्ध करते तो सामने वाला कमजोर हो जाता। फिर अपनी प्रतिज्ञा अनुसार उन्हें हारे हुए की तरफ से युद्ध करना होता। अतः अंत में केवल महाबली बर्बरीक ही जीवित रहते।
मोरछड़ी धारक
बाबा हमेशा मयूर के पंखों की बनी हुई छड़ी रखते हैं इसलिए इन्हें मोरछड़ी वाला भी कहते हैं।
shri khatu shyam ji mela / jai shree shyam darshan
दाढ़ी और मूंछ के साथ इस मंदिर में विराजमान हैं स्वयंभू बालाजीहर साल लगता है खाटूश्याम मेलाप्रत्येक वर्ष होली के दौरान खाटू श्यामजी का मेला लगता है। इस मेले में देश-विदेश से भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है।
Khatu Shyam Ji Online Registration
Nearest Airport to Khatu Shyam Ji :Jaipur International Airport
Nearest City to Khatu Shyam Ji :- Jaipur
Jaipur To Khatu Shyam Distance
- Jaipur to Khatu Shyam Ji Via Ringas : 88 KM by Road (Direct Buses are available from Sindhi Camp Bus stand, Jaipur)
- Jaipur to Khatu Shyam Ji Via Chomu, Kaladera, Badhal, Lamiya: 75 KM by Road
- Ringas to Khatu Shyam Ji: 17 km. by road.
- खाटू श्याम कितना किलोमीटर है :- जयपुर से खाटू श्याम 88 किलोमीटर है ।
- खाटू श्याम कितना किलोमीटर है :- चोमू से खाटू श्याम 75 किलोमीटर है ।
Khatu Shyam Mandir Kab Khulega
Khatu Shyam Mandir Kab Khulega – यदि आप भी खाटू श्याम बाबा के दर्शन करना चाहते है। तो आप मंदिर से जुड़े सोशल मीडिया के माध्यम से आप बाबा श्याम के दर्शन कर सकते है। यहाँ पर आप सभी को खाटू श्याम मंदिर के लाइव दर्शन भी कराये जाते है।
अगर आप यहाँ पर जाकर मंदिर के लाइव दर्शन करना चाहते है तो हम आपको ये बता दे कि यह मंदिर प्रातः 4:30 बजे खुलता है। और फिर दोपहर 12:30 बजे कपाट बंद हो जाते है। इसके बाद कपाट शाम 4:00 बजे खुलते है और फिर रात्रि के 10:00 बजे बंद हो जाते है। खाटू श्याम मंदिर खुला है क्या:- खाटू श्याम मंदिर खुला रहता है टाइम ऊपर देखे ।
Jai Shree shyam खाटू श्याम का मंदिर कैसे बना
श्री खाटू वाले श्याम जी की कहानी जय श्री श्याम का मंदिर इस प्रकार बना . यहा आप देखेंगे की किस तरह खाटू श्याम जी ने अपनी लीला रचकर अपने शीश को खाटू श्याम मंदिर के पास श्याम कुंड से अवतरित किया . जय हो आपकी खाटू श्याम जी खाटू नगरी (खाटू धाम) में एक गाय जो रोज घास चरने जाती थी , रोज जमीन के एक भाग पर खडी हो जाती थी . उसके थनों से स्वता दूध की धार उस धरा में समां जाती थी जेसे की कोई जमीन के अन्दर से उस गौ माँ का दूध पी रहा है .
घर पर आने के बाद गौ मालिक जब उसका दूध निकालने की कोशिस करता तो गौ का दूध उसे मिल नही पाता था . यह क्रम बहूत दिनों तक चलता रहा . गौ मालिक से सोचा की कोई न कोई ऐसा जरुर है जो उसकी गाय का दूध निकल लेता है .एक दिन उस गौ मालिक ने उस गाय का पीछा किया . उसने संध्या के समय जब यह नज़ारा देखा तो उसकी आँखे इस चमत्कार पर चकरा गयी ।
गौ माँ का दूध अपने आप धरा के अन्दर समाने लगा. गौ मालिक अचरज के साथ गाव के राजन के पास गया और पूरी कहानी बताई। राजा और उनकी सभा को इस बात पर तनिक भी यकीं नही आया । पर राजा यह जानना चाहता था की आखिर माजरा क्या है । राजा अपने कुछ मंत्रियो के साथ उस धरा पर आया और उसने देखा की गौ मालिक सही बोल रहा है ।
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उसने अपने कुछ लोगो से जमीन का वो भाग खोदने के लिए कहा . जमीन का भाग जेसे ही खोदा जाने लगा , उस धरा से आवाज आई , अरे धीरे धीरे खोदो , यहा मेरा शीश है उसी रात्रि राजा को स्वपन आया की राजन अब समय आ गया है मेरे शीश के अवतरित होने का ।
मैं महाभारत काल में वीर बर्बरीक था और मेने भगवान श्री कृष्णा को अपना शीश दान में दिया दिया फलस्वरूप मुझे कलियुग में पूजित जाने का वरदान मिला है , खुदाई से मेरा शीश उसी धरा से मिलेगा और तुम्हे मेरा खाटू श्याम मंदिर बनाना पड़ेगा . सुबह जब राजा उठा तो तो स्वपन की बात को ध्यान रखकर कुदाई पुनः शरू करा दी , और फिर जल्द ही कलियुग देव श्री श्याम का शीश उस धरा से अवतरित हुआ jai shree shyam
Jai Shree Shyam । खाटू श्याम जी की जीवन कथा । खाटू श्याम जी के बारे में जाने
खाटू श्याम की कथा । Khatu Shyam Ji Ki Katha
लाक्षागृह की घटना में प्राण बचाकर वन-वन भटकते पांडवों की मुलाकात हिडिंबा नाम की राक्षसी से हुआ था । यह भीम को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी। माता कुंती की आज्ञा से भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ जिससे घटोत्कच का जन्म हुआ। घटोत्कच का पुत्र हुआ बर्बरीक जो अपने पिता से भी शक्तिशाली और मायावी था।
– बर्बरीक देवी का उपासक था। देवी के वरदान से उसे तीन दिव्य बाण प्राप्त हुए थे जो अपने लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते थे। इनकी वजह से बर्बरीक ( खाटू श्याम ) अजेय हो गया था।-
महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के इरादे से कुरुक्षेत्र आ रहा था। श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुआ तो परिणाम पाण्डवों के विरुद्ध होगा। बर्बरीक ( खाटू श्याम ) को रोकने के लिए श्री कृष्ण गरीब ब्राह्मण बनकर बर्बरीक के सामने आए। अनजान बनते हुए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछ कि तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो।
जवाब में बर्बरीक ने बताया कि वह एक दानी योद्धा है जो अपने एक बाण से ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर सकता है। श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षी लेनी चाही तो उसने एक बाण चलाया जिससे पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया। एक पत्ता श्रीकृष्ण के पैर के नीचे था इसलिए बाण पैर के ऊपर ठहर गया।
– श्रीकृष्ण बर्बरीक की क्षमता से हैरान थे और किसी भी तरह से उसे युद्ध में भाग लेने से रोकना चाहते थे। इसके लिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि तुम तो बड़े पराक्रमी हो मुझ गरीब को कुछ दान नहीं दोगे।
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बर्बरीक ने जब दान मांगने के लिए कहा तो श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि यह ब्राह्मण नहीं कोई और है और वास्तविक परिचय देने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया तो बर्बरीक ने खुशी-खुशी शीश दान देना स्वीकर कर लिया।-रात भर भजन-पूजन कर फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान पूजा करके, बर्बरीक ने अपने हाथ से अपना शीश श्री कृष्ण को दान कर दिया।
शीश दान से पहले बर्बरिक ने श्रीकृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जताई थी इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे शीश को युद्ध अवलोकन के लिए, एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया।-युद्ध में विजय श्री प्राप्त होने पर पांडव विजय का श्रेय लेने हेतु वाद-विवाद कर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने कहा की इसका निर्णय बर्बरीक का शीश कर सकता है। बर्बरीक के शीश ने बताया कि युद्ध में श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था जिससे कटे हुए वृक्ष की तरह योद्धा रणभूमि में गिर रहे थे। द्रौपदी महाकाली के रूप में रक्त पान कर रही थीं।-
jai shree shyam
श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक के उस कटे सिर को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे श्याम नाम से पूजित होगे तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होगी।स्वप्न दर्शनोंपरांत बाबा श्याम, खाटू धाम में स्थित श्याम कुण्ड से प्रकट हुए थे। श्री कृष्ण विराट शालिग्राम रूप में सम्वत् 1777 से खाटू श्याम जी के मंदिर में स्थित होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण कर कर रहे हैं।
दाढ़ी और मूंछ के साथ इस मंदिर में विराजमान हैं स्वयंभू बालाजीहर साल लगता है खाटूश्याम मेलाप्रत्येक वर्ष होली के दौरान खाटू श्यामजी का मेला लगता है। इस मेले में देश-विदेश से भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है।
खाटूश्याम जी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी है। बड़े से बड़े घराने के लोग आम आदमी की तरह यहां आकर श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। खाटूश्याम जी के चमत्कार भक्तों की इस मंदिर में इतनी आस्था है कि वह अपने सुखों का श्रेय उन्हीं को देते हैं। भक्त बताते हैं कि बाबा खाटू श्याम सभी की मुरादें पूरी करते हैं। खाटूधाम में आस लगाने वालों की झोली बाबा खाली नहीं रखते हैं , जो मांगे वो मिलता है, आस्था होनी जरुरी है ।”
Jai Shree Shyam । खाटू श्याम जी की जीवन कथा । खाटू श्याम जी के बारे में जाने
Khatu Shyam Baba Ke Bhajan
Shyam Chalisa
दोहा
श्री गुरु चरण ध्यान धर, सुमिरि सच्चिदानन्द। श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चैपाई छन्द।।
जय श्री श्याम चौपाई
श्याम श्याम भजि बारम्बारा,सहज ही हो भवसागर पारा। इन सम देव न दूजा कोई, दीन दयालु न दाता होई। भीमसुपुत्र अहिलवती जाया, कहीं भीम का पौत्र कहाया। यह सब कथा सही कल्पान्तर, तनिक न मानों इनमें अन्तर। बर्बरीक विष्णु अवतारा, भक्तन हेतु मनुज तनु धारा। वसुदेव देवकी प्यारे, यशुमति मैया नन्द दुलारे। मधुसूदन गोपाल मुरारी, बृजकिशोर गोवर्धन धारी। सियाराम श्री हरि गोविन्दा, दीनपाल श्री बाल मुकुन्दा। दामोदर रणछोड़ बिहारी, नाथ द्वारिकाधीश खरारी। नरहरि रूप प्रहलद प्यारा, खम्भ फारि हिरनाकुश मारा। राधा वल्लभ रुक्मिणी कंता, गोपी बल्लभ कंस हनंता। मनमोहन चितचोर कहाये, माखन चोरि चोरि कर खाये। मुरलीधर यदुपति घनश्याम, कृष्ण पतितपावन अभिराम। मायापति लक्ष्मीपति ईसा, पुरुषोत्तम केशव जगदीशा। विश्वपति त्रिभुवन उजियारा, दीनबन्धु भक्तन रखवारा। प्रभु का भेद कोई न पाया, शेष महेश थके मुनियारा। नारद शारद ऋषि योगिन्दर, श्याम श्याम सब रटत निरन्तर। कवि कोविद करि सके न गिनन्ता, नाम अपार अथाह अनन्ता। हर सृष्टि हर युग में भाई, ले अवतार भक्त सुखदाई। हृदय माँहि करि देखु विचारा, श्याम भजे तो हो निस्तारा। कीर पड़ावत गणिका तारी, भीलनी की भक्ति बलिहारी। सती अहिल्या गौतम नारी, भई श्राप वश शिला दुखारी। श्याम चरण रच नित लाई, पहुँची पतिलोक में जाई। अजामिल अरु सदन कसाई, नाम प्रताप परम गति पाई। जाके श्याम नाम अधारा, सुख लहहि दुख दूर हो सारा। श्याम सुलोचन है अति सुन्दर, मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर। गल वैजयन्तिमाल सुहाई, छवि अनूप भक्तन मन भाई। श्याम श्याम सुमिरहुं दिनराती, शाम दुपहरि अरु परभाती। श्याम सारथी सिके रथ के, रोड़े दूर होय उस पथ के। श्याम भक्त न कहीं पर हारा, भीर परि तब श्याम पुकारा। रसना श्याम नाम पी ले, जी ले श्याम नाम के हाले। संसारी सुख भोग मिलेगा, अन्त श्याम सुख योग मिलेगा। श्याम प्रभु हैं तन के काले, मन के गोरे भोले भाले। श्याम संत भक्तन हितकारी, रोग दोष अघ नाशै भारी। प्रेम सहित जे नाम पुकारा, भक्त लगत श्याम को प्यारा। खाटू में है मथुरा वासी, पार ब्रह्म पूरण अविनासी। सुधा तान भरि मुरली बजाई, चहुं दिशि नाना जहाँ सुनि पाई। वृद्ध बाल जेते नारी नर, मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर। दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई, खाटू में जहाँ श्याम कन्हाई। जिसने श्याम स्वरूप निहारा, भव भय से पाया छुटकारा। दोहा श्याम सलोने साँवरे, बर्बरीक तनु धार। इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार।।
।।दोहा।।
श्याम सलोने सांवरे, बर्बरीक तनु धार । इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार ।।
khatu shyam aarti । श्री खाटू श्याम जी की आरती
ऊँ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे । खाटूधाम बिराजत, अनुपम रूप धरे ।। ऊँ जय… रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चँवर ढुरे । तन केसरिया बागो, कुंडल श्रवण पड़े ।। ऊँ जय… गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे ।। खेवत धूप अग्नि पर, दीपक ज्योति जले ।। ऊँ जय… मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे । सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे ।। ऊँ जय… झांझ कटोरा और घड़ियावल, शंख मृदंग घुरे । भक्त आरती गावे, जय जयकार करे ।। ऊँ जय… जो ध्यावे फल पावे, सब दुख से उबरे ।। सेवक जन निज मुख से, श्रीश्याम-श्याम उचरे।। ऊँ जय… “श्री श्याम बिहारी जी की, आरती जो कोई नर गावे । कहत “आलूसिंह” स्वामी, मनवांछित फल पावे ।। ऊँ जय… जय श्रीश्याम हरे, बाबा जय श्रीश्याम हरे । निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे ।। ऊँ जय…
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कभी राम बनके कभी श्याम बनके। श्याम तेरी बन्सी पुकारे राधा नाम लिरिक्स । बताओ कहाँ मिलेगा श्याम: भजन ।
Kabhi Ram Banke Kabhi Shyam Banke
कभी राम बनके कभी श्याम बनके
कभी राम बनके कभी श्याम बनके, चले आना प्रभुजी चले आना॥ तुम राम रूप में आना, तुम राम रूप में आना, सीता साथ लेके, धनुष हाथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना॥ तुम श्याम रूप में आना, तुम श्याम रूप में आना, राधा साथ लेके, मुरली हाथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना॥ तुम शिव के रूप में आना, तुम शिव के रूप में आना, गौरा साथ लेके, डमरू हाथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना॥ तुम विष्णु रूप में आना, तुम विष्णु रूप में आना, लक्ष्मी साथ लेके, चक्र हाथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना॥ तुम गणपति रूप में आना, तुम गणपति रूप में आना, रीधी साथ लेके, सीधी साथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना॥ कभी राम बनके कभी श्याम बनके, चले आना प्रभुजी चले आना॥
Shyam Teri Bansi Pukare Radha Naam
Shyam Teri Bansi Pukare Radha Naam Lyrics in Hindi श्याम तेरी बन्सी पुकारे राधा नाम लिरिक्स श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम। लोग करे मीरा को यूंही बदनाम । । साँवरे की बंसी को बजने से काम । राधा का भी श्याम वोतो मीरा का भी श्याम ।। जमुना की लहरें बंसीबट की छैयां। किसका नहीं है कहो कृष्ण कन्हैया। श्याम का दीवाना तो सारा बृज धाम ।। श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम। लोग करे मीरा को यूंही बदनाम ।। कौन जाने बाँसुरिया किसको बुलाए। जिसके मन भाए वो उसी के गुण गाए। कौन नहीं बंसी की धुन का गुलाम ।। श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम। लोग करे मीरा को यूंही बदनाम ।।
Batao Kahan Milega Shyam
बताओ कहाँ मिलेगा श्याम: भजन
बताओ कहाँ मिलेगा श्याम । चरण पादुका लेकर सब से पूछ रहे रसखान ॥ वो नन्ना सा बालक है, सांवली सी सूरत है, बाल घुंघराले उसके, पहनता मोर मुकुट है । नयन उसके कजरारे, हाथ नन्ने से प्यारे, बांदे पैजन्यिया पग में, बड़े दिलकश हैं नज़ारे । घायल कर देती है दिल को, उसकी इक मुस्कान ॥ बताओ कहाँ मिलेगा श्याम… समझ में आया जिसका पता तू पूछ रहा है, वो है बांके बिहारी, जिसे तू ढूंढ रहा है । कहीं वो श्याम कहाता, कहीं वो कृष्ण मुरारी, कोई सांवरिया कहता, कोई गोवर्धन धारी । नाम हज़ारो ही हैं उसके कई जगह में धाम ॥ बताओ कहाँ मिलेगा श्याम… मुझे ना रोको भाई, मेरी समझो मजबूरी, श्याम से मिलने देदो, बहुत है काम ज़रूरी । सीडीओं पे मंदिर के दाल कर अपना डेरा, कभी तो घर के बाहर श्याम आएगा मेरा । इंतज़ार करते करते ही सुबह से हो गई श्याम ॥ बताओ कहाँ मिलेगा श्याम… जाग कर रात बिताई भोर होने को आई, तभी उसके कानो में कोई आहात सी आई । वो आगे पीछे देखे, वो देखे दाए बाए, वो चारो और ही देखे, नज़र कोई ना आए । झुकी नज़र तो कदमो में ही बैठा नन्ना श्याम ॥ बताओ कहाँ मिलेगा श्याम… ख़ुशी से गदगद होकर गोद में उसे उठाया, लगा कर के सीने से बहुत ही प्यार लुटाया । पादुका पहनाने को पावं जैसे ही उठाया, नज़ारा ऐसा देखा कलेजा मूह को आया । कांटे चुभ चुभ कर के घायल हुए थे नन्ने पावं ॥ बताओ कहाँ मिलेगा श्याम… खबर देते तो खुद ही तुम्हारे पास मैं आता, ना इतने छाले पड़ते ना चुबता कोई काँटा । छवि जैसी तू मेरी बसा के दिल में लाया, उसी ही रूप में तुमसे यहाँ मैं मिलने आया । गोकुल से मैं पैदल आया तेरे लिए बृजधाम ॥ भाव के भूखे हैं भगवान्… श्याम की बाते सुनकर कवि वो हुआ दीवाना, कहा मुझको भी देदो अपने चरणों में ठिकाना । तू मालिक है दुनिया का यह मैंने जान लिया है, लिखूंगा पद तेरे ही आज से ठान लिया है । श्याम प्रेम रस बरसा ‘सोनू’ खान बना रसखान ॥ भाव के भूखे हैं भगवान्… कांटो पर चलकर के रखते अपने भगत का मान । भाव के भूखे हैं भगवान् ॥
Meri Lagi Shyam Sang Preet Lyrics
Meri Lagi Shyam Sang Preet Lyrics in Hindi
मेरी लगी श्याम संग प्रीत। ये दुनिया क्या जाने। क्या जाने कोई क्या जाने।। मुझे मिल गया मन का मीत। ये दुनिया क्या जाने। मेरी लगी श्याम संग प्रीत। ये दुनिया क्या जाने। क्या जाने कोई क्या जाने।। छवि लखि मैंने श्याम की जब से। भई बावरी मैं तो तब से। बाँधी प्रेम की डोर मोहन से। नाता तोड़ा मैंने जग से। ये कैसी निगोड़ी प्रीत। ये दुनिया क्या जाने। मेरी लगी श्याम संग प्रीत। ये दुनिया क्या जाने। क्या जाने कोई क्या जाने।। मोहन की सुन्दर सूरतिया। मन में बस गई मोहनी मूरतिया। जब से ओढ़ी श्याम चुनरिया। लोग कहे मैं भई बावरियां। मैंने छोड़ी जग की रीत। ये दुनिया क्या जाने। मेरी लगी श्याम संग प्रीत। ये दुनिया क्या जाने। क्या जाने कोई क्या जाने।। हर दम अब तो रहूँ मस्तानी। लोग लाज की नीव् बिसराणी। रूप राशि अंग अंग समानी। हेरत हेरत रहूँ दीवानी। मैं तो गाऊँ ख़ुशी के गीत। ये दुनिया क्या जाने। मेरी लगी श्याम संग प्रीत। ये दुनिया क्या जाने। क्या जाने कोई क्या जाने।। मोहन ने ऐसी बंसी बजाई। गोप गोपियाँ दौड़ी आई। सब ने अपनी सुध बिसरायी। लोक लाज कुछ काम न आई। फिर बाज उठा संगीत। ये दुनिया क्या जाने। मेरी लगी श्याम संग प्रीत। ये दुनिया क्या जाने। क्या जाने कोई क्या जाने।। मुझे मिल गया मन का मीत। ये दुनिया क्या जाने। मेरी लगी श्याम संग प्रीत। ये दुनिया क्या जाने। क्या जाने कोई क्या जाने।।
Khatu Shyam JI Status
बाबा खाटू श्यामजी के आसपास घूमने के स्थान माटी का शरीर तेरा, एक दिन माटी में ही मिल जायेगा, ले शरण बाबा “श्याम” की, तेरा जीवन सफ़ल हो जायेगा।। ।। जय श्री श्याम ।। |
हारे का सहारा, खाटू श्याम हमारा। ।। जय श्री श्याम ।। |
चन्दन हैं खाटू की माटी, अमृत यहाँ का नीर, ये दोनों जिसको मिल जाए, बहुत बड़ी तकदीर। ।। जय श्री श्याम ।। |
jai shree shyam
आरज़ू ये नहीं की सोना, चांदी, बांग्ला कार मिल जाए,
हम तो तेरे दीवाने हैं बाबा, तमन्ना हैं की बस तेरा आशीर्वाद मिल जाये।
।। जय श्री श्याम ।।
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FAQ
Q#1 खाटू श्याम मंदिर खुला है क्या ?
ANS:- साल 2023 के फाल्गुन लक्खी मेले के बाद मंदिर में दर्शन के समय में बदलाव किया गया है। अब श्याम मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए 24 घंटे खुला रहता है ।
Q#2 खाटू श्याम मंदिर कहां है ?
ANS:- खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में है, खाटूश्यामजी भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर जिले का एक महत्वपूर्ण कस्बा है। यह खाटूश्यामजी के मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है। बाबा खाटू श्याम जी का संबंध महाभारत कालीन बताया जाता है।
Q#3 दिल्ली से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है ?
ANS:- दिल्ली से खाटू श्याम जी मंदिर की दूरी करीब 479 किलोमीटर होगी लकिन ट्रैन द्वारा दिल्ली से खाटू श्याम जाने के लिए दिल्ली के सारे रोहिल्ला रेलवे स्टेशन और पुराणी दिल्ली रेलवे स्टेशन से ट्रैन लेकर राजस्थान में रींगस उतर सकते है। रींगस उतरने के बाद वहां से ऑटो या टैक्सी लेकर आसानी से खाटू श्याम जी के मंदिर पंहुचा जा सकता है। रींगस से खाटू श्याम मंदिर की दूरी करीब 17 किलोमीटर है।
Q#4 जयपुर से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है ?
ANS:- खाटू श्याम का मंदिर जयपुर से 80 किलोमीटर दूर सीकर के खाटू गांव में मौजूद है। खाटू श्याम जी पहुंचने के लिए सबसे पास का रेलवे स्टेशन रिंगस है। जहां से बाबा के मंदिर की दूरी 17 किमी है।
आप सरकारी बस के द्वारा भी आ सकते हो जो आपको खाटू श्याम के मंदिर के पास छोड़ सकती है ।
खाटू श्याम मंदिर राजस्थान नियर रेलवे स्टेशन,
खाटू श्याम मंदिर कहां पर है,
खाटू श्याम मंदिर कहां है