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कलयुग का कड़वा सच शायरी
January 12, 2024
कलयुग का कड़वा सच शायरी : इस पोस्ट मे आपको मिलेगे जीवन की कुछ कड़वी सच्ची और अच्छी बातें।” आदमी अच्छा था ये सुनने के लिए , पहले मरना पडता है। ” हम अपने जीवन में अनेकों उदाहरण ऐसे देखते हैं जो दूसरों को हमेसा सभी कहते हैं लेकिन कभी अपने बारे में नहीं सोचते कि हम भी कितने बुरे हैं। लोगों को बस दूसरों की खामियां नजर आती है मगर जब अपनी बारी आती है तो हर कोई अंधा हो जाता हैं और अपने आप को सही दिखाने का प्रयास करता है। मगर जो सच हैं वो तो सबको पता चल ही जाता हैं। आज के इस पोस्ट में हम ऐसे ही कड़वे सुविचार लेकर आए हैं । जिसे आप अपने अपने WhatsApp या किसी अन्य सोशल मीडिया पर शायरी डाल कर कलयुग का कड़वा सच शायरी को डाल कर आप अपने उस इंसान को बता सकते हो की वो कितना बुरा है ।
कलयुग का कड़वा सच शायरी
इज्जत किसी इंसान की नहीं होती,
जरूरत की होती है,
जरूरत खत्म, इज्जत खत्म!
कलयुग का कड़वा सच शायरी
बदल जाती है ज़िन्दगी की सच्चाई ऊस वक़्त,
जब कोई तुम्हारा तुम्हारे सामने तुम्हारा नहीं होता
दुनिया में अपना कोई नहीं है
बेटा-बहु की अमानत है
बेटी दामाद की अमानत है
शरीर श्मशान की अमानत है
ज़िन्दगी मौत की अमानत है
लोग जरुरत के मुताबिक इस्तेमाल करते है
और हम यह समझते है
कि लोग हमे पसंद करते है
यही तो भ्रम है ज़िन्दगी
कलयुग का कड़वा सच शायरी
दुनिया की सबसे बेहतर दवा जिम्मेदारी है,
एक बार लेके तो देखिये
जिन्दगी भर थकने नहीं देगी
तभी तक पूछे जाओगे
जब तक काम आओगे
क्योंकि चिरागों के जलते ही बुझा दी जाती है तीलियाँ
कलयुग का कड़वा सच शायरी
आदमी अच्छा था ये सुनने के लिए
पहले मरना पडता है।
संसार में सभी महिलाएं
अपने बेटे को श्रवण
बनाना चाहती हैं लेकिन
अपने पति को श्रवण बनते नहीं देख सकती
पैसों से मिली खुशी कुछ समय के लिए रहती है लेकिन
अपनों से मिली खुशी जीवन भर साथ रहती है
मरने के लिए थोड़ा सा जहर काफी है
मगर जीने के लिए बहुत सारा जहर पीना पड़ता हैं।
ऊधार दीजिए मगर सोच समझकर
क्योंकि अपने ही पैसे भिखारी की
तरह मागने पडते हैं।
किसी का असली चरित्र तभी सामने आता है
जब आप उसके मतलब के नहीं रहते।
कलयुग का कड़वा सच शायरी हिंदी में
कलयुग का कड़वा सच शायरी : इस पोस्ट मे आपको मिलेगे जीवन की कुछ कड़वी सच्ची और अच्छी बातें।” किसी का असली चरित्र तभी सामने आता है
जब आप उसके मतलब के नहीं रहते। ” हम अपने जीवन में अनेकों उदाहरण ऐसे देखते हैं
मतलब मे बहुत ज्यादा वजन होता है
तभी तो मतलब निकलने के बाद रिश्ते हल्के हो जाते है।
इंसान घर बदलता है रिश्ते बदलता है
दोस्त बदलता है,
मगर फिर भी परेशान रहता है
क्योंकि वो खुद को नही बदलता।
लोग आपके पास तब नहीं आते
जब आप दुखी हो बल्कि वो तब आते हैं
जब वो खुद दुखी होते हैं।
गलतफहमी थी के बहुत हैं अपने,
मुड़ कर देखा तो एक साया हमसफर निकला!
कलयुग का कड़वा सच शायरी
तुम अब भी ढूंढते हो दूसरों में गलतियाँ,
शायद तुम खुद से अभी तक मिले नहीं!
दुख के दस्तावेज हो या सुख की वसीयत,
गौर से देखोगे तो अपने ही दस्तख़त होंगे!
मौत-ओ-हस्ती की कश्मकश में कटी है तमाम उम्र,
ग़म ने जीने नहीं दिया शौक़ ने मरने न दिया!
हर लकीर एक तजुर्बा है जनाब,
झुर्रियां चेहरों पर यूँ ही नहीं आती!
दोस्तों आपको ये कलयुग का कड़वा सच शायरी कैसे लगे हमें कमेंट करके बताए। यदि आपको ये कड़वी सच्ची बातें अच्छी लगी हो तो इन्हें शेयर जरूर करे